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बच्चों के अधिकार

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हम जानते हैं कि बच्चे ही प्रत्येक राष्ट्र का भविष्य होते हैं किन्तु वर्तमान युग में अनेक राष्ट्र तथा समाज ऐसे हैं जो कि इस बाल वर्ग के प्रति उदासीन हैं। उन्हें भविष्य का उच्च नागरिक बनाना तो दूर आजकल तो उन्हें स्कूल जाना तक नसीब नहीं होता है। हम कई जगह देखते हैं कि बहुत से बच्चे जिन्हें अभी स्कूल में होना चाहिए था वो आजकल किसी दुकान पर काम करते हुए देखे जा सकते हैं। बच्चे देश का भविष्य होते हैं और हमारा भविष्य खतरे में है। हम अपने भविष्य को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं। आजकल बच्चे किसी दुकान पर काम करते हुए पाए जा रहे हैं तो उसका एक कारण उनके घर के हालात भी हैं।                                                                                 क्या इन बच्चों को पड़ने का अधिकार नहीं है ? सरकार द्वारा चलाए जा रहे बहुत से अभियान इसमें सफल हुए हैं। मगर आज भी बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिनको ये अधिकार अभी तक नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में हमें और आपको इन सभी बच्चों कि मदद करनी चाहिए। आपको और हमको मिलकर अपना भविष्य सुधारना चाहिए और ये तभी संभव है जब हम और आप साथ मिलकर कदम से कदम मिला कर एक साथ

संविधान के अनुच्छेद 21(ए), 29(2) एवं 45 के अंतर्गत शिक्षा संबंधी संस्तुतियां क्या है ?

अनुच्छेद 21 (ए) संविधान के भाग 3 के अंतर्गत मूल अधिकार में निहित राज्य को 6-14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करानी होगी। यह राज्य द्वारा निर्धारित कानून के अंतर्गत होगा। (The state shall provide free and compulsory education to all children of the age of six to fourteen years in such manner as the state may, by law, determine).      धारा 29 (2) - राज्य द्वारा पोषित या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाली किसी शिक्षा संस्था में किसी नागरिक को केवल धर्म, जाति, प्रजाति, भाषा या इनमें से किसी एक के आधार पर प्रवेश देने से नहीं रोका जाएगा। (No children shall be admission in to any educational institution maintained by the state or recieving aid out of the state funds or grounds only for religion, race, caste, language or any of them.)         निशुल्क एंव अनिवार्य शिक्षा - धारा 45 - राज्य के इस संविधान के लागू होने के समय से दस वर्ष के अंतर्गत सभी बच्चों के लिए जब तक वे 14 वर्ष के नहीं हो जाते, निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा।    (

प्राचीन समय में शिक्षा का अर्थ

प्राचीन काल में शिक्षा से तात्पर्य आत्म - ज्ञान तथा आत्म प्रकाश माना जाता था। समय के परिवर्तन के साथ - साथ शिक्षा का अर्थ व महत्व भी परिवर्तित होता रहा। प्राचीन काल में यूनान में राजनीतिक ; शारीरिक ;मानसिक ; नैतिक तथा सौंदर्य शिक्षा प्रदान की जाती थी। उस समय शिक्षा का उद्देश्य केवल बलिष्ठ सैनिक उत्पन्न करना था।                                               आधुनिक शिक्षा आजीवन चलने वाली बहू - आयामी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जीवन के साथ निरंतर चलती रहती है। व्यक्ति को विद्यालयी शिक्षा के अतिरिक्त जीवनोपयोगी हर प्रकार की शिक्षा लेनी पड़ती है। व्यक्ति कठिनाइयों अर्थात् दुःख से भी शिक्षा मिलती है और सुख से तो लेता ही है। छोटे बड़े सबसे कुछ न कुछ सीखने को मिलता जाता है।              शिक्षा शब्द की  व्युत्पत्ति संस्कृत की `शिक्षा ' धातु से हुई है जिसका अर्थ है सीखना और सिखाना। इस अर्थ में यदि हम देखें तो शिक्षा में वह सब कुछ निहित है जो हम समाज में रहकर सीखते हैं। शिक्षा शास्त्री शिक्षा का प्रयोग प्रायः तीन रूपों में करते हैं -         (1) ज्ञान (knowledge)         (2) पाठ्यचर्या क

The importance and meaning and concept of education

Concept of Education                                  Education ka meaning Simple school me teaching se lagaya jaata hai. Kisi person ne kis class tak education li hai ? Ye question kisi person ki education ka pta lagane ke liye puchh liya jaata hai. Education ka simple language me meaning hai kisi chiz ko sikhna. Hum kis gyan ko sikhte hain to use education mana jayega. Hum school me calss to class education earn krte hue aage bdte jaate hain. But usse bhi zyada education hum apne daily life me step to step earn krte hain. Agar hum chahe to har vyakti se har incident se education earn kr skte hain. Education kabhi bhi poori nhi hoti, agr koi vyakti agr yeh kehta hai ke usne education poori krli hai to vo khud ko jhuthla rha hai or samne vale ko bhi gumrah kr rha hai. Education is a process which start from the birth of a child and goes on till he die.